सामाजिक सेवा और आध्यात्मिक सेवा के अंतर को समझें
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समाज सेवा और आध्यात्मिक सेवा के अंतर तो समझें। समाज सेवा से चेतना का विकास नहीं हो सकता। अगर ब्रह्म का संस्प्रश करना हैं तो आध्यात्मिक सेवा को समझना आवश्यक है। प्रभु की सेवा केवल शब्दों से नहीं होती। उसके लिए प्रार्थमिकता, भाव और मात्रा, इन तीन बातों का ध्यान रखना पड़ता है। सेवा करते समय निस्वार्थता का प्रयास करें।
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