George Esquivel started making shoes for himself and some friends, up-and-coming musicians in Southern California. Soon, Hollywood came calling. And it wasn’t just celebrities who took notice. A film financier did, too. He said he wanted to invest in the company, but George soon realized his intentions weren’t what they seemed. Join Ben and special guest host Kathleen Griffith as they speak to George about the rise of Esquivel Designs. Hear what a meeting with Anna Wintour is really like, and what happens when you’re betrayed by someone inside your company. These are The Unshakeables. See omnystudio.com/listener for privacy information.…
मेरी कहानियां बात करना चाहती हैं आपसे कुछ कहना चाहती है आपसे सुनेंगे ना आप ?
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"कनेर के फूल " राजेश ओझा जी की कलम से निकली वो कहानी है जो आपको एक पल जेठ की दुपहरी में शीतल पुरवाई का अह्सास कराएगी और दूसरे ही पल पूस की हाड़ कंपा देने वाली शीतलहर में गुनगुनी उष्मा से भर देगी, अगर ये कहानी आज के तनावपूर्ण सामाजिक ताने बाने से निकाल कर आपके किशोर से युवा हो रहे समय की मीठी यादों मे पहुंचा दें तो धन्यवाद दीजिए ओझा जी को! कहानी सुन…
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"दिमाग बनाम दिल " राजेश ओझा जी की लघुकथा अभी हालिया इंदौर समाचार पत्र में खूब लोकप्रिय हो रही है, ये कहानी दिल और दिमाग के झंझावात को बख़ूबी प्रदर्शित करती है, सुने और प्रतिक्रिया दें!
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राजेश ओझा जी लेखनी से निकली वो कहानी जो असली भारतीयता और उसके मूल्यों, सिद्धांतो, संस्कार और आपसी सामाजिक सहयोग , प्रेम और सहभागिता का वो चित्रण है जो अब लुप्त होता जा रहा है, आवश्यकता है इस लुप्त हो रही भारतीयता की पहचान के संरक्षण की!
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दोस्तों ये कहानी मुझे सोशल मीडिया पर मिली । कहानीकार का पता नहीं चल पाया है सो अनाम कहानीकार को मेरी तरफ से प्रणाम, बहुत बहुत धन्यवाद और आभार। कहानी सुनने के बाद अगर एक भी चिकित्सक के जीवन में थोड़ा सा भी हृदय परिवर्तन हो सका तो कहानीकार और मेरा प्रयास सार्थक हो जायेगा।
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छाया अग्रवाल जी के कहानी संग्रह #तृष्णा के टाइटल कहानी का अंतिम भाग
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छाया अग्रवाल जी जी द्वारा लिखित कहानी संग्रह "तृष्णा" की टाइटल कहानी का प्रथम भाग
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छाया अग्रवाल जी की कलम से निकली एक मार्मिक कहानी का प्रथम भाग
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संघर्ष कर रहे शिक्षा मित्र साथियों की आवाज को मज़बूत करने के लिए एक छोटा सा प्रयास मेरा भी।
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ये कहानी हिन्दी दिवस पर आदरणीय भैया आशुतोष राणा जी की सधी कलम से हिन्दी दिवस पर लिखी गई है। सुने और प्रतिक्रिया दें।
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कहानी की चौथी किस्त
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माउथ ऑर्गन की दूसरी कहानी
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सुशोभित जी कलम से निकली कहानियों के संग्रह " माउथ ऑर्गन " की पहली कहानी
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एक थीं अनु एक अनोखी प्रेम कहानी खुद सुने और जाने की ये अनोखी क्यो है।
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एक थीं अनु का मध्य भाग खुद सुने और प्रतिक्रिया दें
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अनुप्रिया ने मोबाइल उठा कर आदित्य का नम्बर डायल किया है। घंटी जा रही है। पर फ़ोन नही उठ रहा है.............
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मुनिया तो बहुत देर पहले ही मर चुकी थी, लेकिन अर्जुन अपनी पत्नी सुगंधी से बता नही रहा था और चुपचाप बेटी की लाश को कंधे पर लादे चल रहा था।
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इस सुंदर कहानी को सिर्फ़ शिक्षक और शिष्य के रिश्ते के कारण ही मत सोचिएगा । अपनें आसपास देखें, तारिक जैसे कई फूल मुरझा रहे हैं जिन्हे आप का ज़रा सा ध्यान, प्यार और स्नेह नया जीवन दे सकता है।
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स्वास्थ्यकर्मियों के ऊपर जिम्मेदारियों का बोझ , महामारी में समय का अभाव और मानवीय संवेदना के बीच उनके सेवाभाव को समर्पित कहानी
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कहानी कोरोना काल में घटी मानवता को शर्मसार करती एक घटना से संबंधित है आगे की कहानी खुद सुने
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मेरी आपकी और सबकी कहानी
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दोस्तों आज से कहानियां की श्रंखला शुरु कर रहा हूं ये कहानियां हमारी आपकी सबकी कहानियां हैं जो मनोरंजन के साथ साथ कहीं ना कहीं आपके हृदय को स्पंदित करेंगी । कभी हसाएंगी , कभी गंभीर करेंगी , कभी आंखे नम करेंगी, कभी जोश दिलाएंगी , कभी आनंद से आह्लादित करेंगी और अन्त में सोचने के लिए छोड़ जाएंगी कुछ सवाल…
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